CONSIDERATIONS TO KNOW ABOUT SIDH KUNJIKA

Considerations To Know About sidh kunjika

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श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

नवरात्रि के नौ दिनों तक इसका पालन करना होगा तभी ये पूर्ण फल प्रदान करेगा.

न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।

इस पाठ के करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं.

विच्चे चा ऽभयदा नित्यं, नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ।।

Swamiji says, “A powerful motivation is something which can make us rise up and to the fullest capacity assert ourselves to the furtherance of the intention. The key should be to deal with the mantras.”

This really is prayer from the Kunjika which happens to be the reason for awakening. Oh Parvathi, keep read more this guarded and stored key from those who are not devotees.  

समय का अभाव है तो नवरात्रि के नौ दिनों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर देवी की उपासना की जा सकती है. इससे पूजा और व्रत का अक्षय पुण्य प्राप्त होगा.

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